शादी के बाद किसी भी दम्पति का सबसे बड़ा सपना होता है संतान सुख प्राप्त करना | शास्त्रों में जितने भी सुख बताये गए है उनमे संतान सुख भी प्रमुखता से बताया गया है | संतान प्राप्त ना होने का दुःख क्या होता है ये सिर्फ वो इंसान ही बता सकता है जो इससे वंचित रह गया हो | आज हम संतान सुख से जुडी ही बात करने जा रहे है | आपके कई बार देखा या सुना होगा कि किसी को जुड़वाँ बच्चे हुए है | जुड़वाँ बच्चो की प्राप्ति का सुख बहुत ही भाग्यशाली लोगो को प्राप्त होता है यही वजह है कि ये सुख बहुत ही कम लोग प्राप्त कर पाते है |
बताया जाता कि जुड़वाँ बच्चे किस्मत वाले के ही होते है | ज्योतिषशास्त्र में जुड़वाँ बच्चो के बारे में कुछ बाते बतायी गयी है जिसमे कुंडली के कुछ विशेष योग के बारे में बताया गया है | ये योग जिस भी महिला की कुंडली में होते है वो जुड़वाँ बच्चे जरूर प्राप्त करती है |
क्या कहता है ज्योतिष
- चन्द्रमा और शुक्र एक ही राशि में मौजूद हो |
- मंगल, गुरु और बुध विषम राशि में स्थित हो |
- लग्न और चंद्र गृह एक ही राशि में हो और पुरुष ग्रह द्वारा देखे जाते है तो भी जुड़वाँ संतान प्राप्त होती है |
- मिथुन या धनु राशि में गुरु सूर्य हो और बुध से दृष्ट हो तो दो जुड़वाँ पुत्रो की प्राप्ति होती है |
- कन्या या मीन राशि में शुक्र, चंद्र या मंगल ग्रह बुध से दृष्ट हो तो जुड़वाँ कन्या की प्राप्ति होती है |
क्या कहता है विज्ञान
आनुवंशिकता
हालाँकि अगर वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो यदि परिवार में पहले से किसी के जुड़वाँ बच्चे है या फिर आप अपने भाई या बहन के जुड़वाँ है तो पूरी सम्भावना रहती है की आपकी संतान भी जुड़वाँ ही होगी |
ऊंचाई और वजन
ऊंचाई और वजन भी कई बार जुड़वाँ बच्चो के होने का कारण होते है | एक स्टडी के अनुसार जिन महिलाओ का BMI 30 से अधिक होता है उनके जुड़वाँ बच्चे होने की सम्भावना बहुत अधिक होती है |
माँ की आयु
अमेरिकन कॉलेज ऑफ़ ऑब्स्टट्रिशन्स एंड गयनेकोलॉजिस्ट्स द्वारा की गयी स्टडी में सामने आया कि आयु बढ़ने के कारण भी जुड़वाँ बच्चे होने की सम्भावना बढ़ जाती है | जैसे जैसे उम्र बढ़ती है वैसे वैसे फॉलिकल-स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन के निर्माण में कमी आने लगती है जिस कारण अण्डाणुओ की संख्या बढ़ने लगती है और अण्डाणुओ की ये बढ़ती संख्या ही जुड़वाँ बच्चो के जन्म का कारक बनती है |